Monday, April 20, 2020

लिखता हूँ खून के कतरे से ...


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लिखता हूँ खून के कतरे-कतरे से !!

मिट ना पाएंगे तेरे दिए हुए आंसुओं से !!

की जब कभी पढ़ोगी मेरे लब्ज़ों को !!

तो तुम भी जी लोगी मेरे बीते हुए पल को !!

और नसीब ना होगा आंसू भी तुम्हें  !!

की बन चूका होगा वो भी खून का क़तरा क़तरा !!

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आज़माती नहीं..

बदला हर एक कमज़ोरी को ताकत में । अब मसला ये की तू आज़माती नहीं ।।