Monday, April 20, 2020

आज़माती नहीं..

बदला हर एक कमज़ोरी को ताकत में ।
अब मसला ये की तू आज़माती नहीं ।।

लिखता हूँ खून के कतरे से ...


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लिखता हूँ खून के कतरे-कतरे से !!

मिट ना पाएंगे तेरे दिए हुए आंसुओं से !!

की जब कभी पढ़ोगी मेरे लब्ज़ों को !!

तो तुम भी जी लोगी मेरे बीते हुए पल को !!

और नसीब ना होगा आंसू भी तुम्हें  !!

की बन चूका होगा वो भी खून का क़तरा क़तरा !!

आग बुझाऊं कैसे



सीने में जो लगा है आग बुझाऊं कैसे !!!

तुझसे दूर ना जाऊं तो पास भी आऊं कैसे !!!!


काश कभी ऐसा हो


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काश कभी ऐसा हो

की जो तेरे दिल में हैवो जुबा पे भी हो

आंसू तेरे हो लेकिन वो आंखे मेरी हो   

ख्वाहिश तेरी हो पर वो मज़िल मेरी हो

काश कभी ऐसा हो......

तेरे ही ख्यालो मे हूँ



उल्झनो मे हूँ,  

तेरे ही ख्यालो मे हूँ
 अब इज़्हार भी ना जाने क्यों 

मेरे सवालो मे हैं !

कभी तू क्या मेरा ना होगा ..............



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सांसे तो आती जाती रहेंगी सांसो का क्या है!!!! 
पर तेरा आना और जाना, क्या एक तसव्वर नही है!!!! 
 हकीकत को तो जी ही लेते हैं !!!!! 
 पर ख्वाबों को टूटते हुए देखूं कैसे!!!!! 
 कल भी मेरा था ,आज भी मेरा है !!!!
 पर आने वाला कल क्या अपना ना होगा !!!! 

कभी तू क्या मेरा ना होगा ..............
कभी तू क्या मेरा ना होगा ..............

रिहाई


                                                                                                        





मन को बांध रखा है तुमने ही ......

इन लोहे के सलाखों की तरह ! 

ना इतनी इतनी शक्ति है मुझमें 

और ना ही रिहाई की आस............

:-आपका पलाश


आज़माती नहीं..

बदला हर एक कमज़ोरी को ताकत में । अब मसला ये की तू आज़माती नहीं ।।